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बै अर आपां / निशान्त
Kavita Kosh से
बै खेतां मांय
निपजै तो ई खावै
आपां बाकी रा सै
लूटां
पहाड़
जंगल
नदी
समंदर
धरती री कूख
अर सागै-सागै
बानै भी ।