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बोलो बेटा मुन्नीलाल / कर्मानंद आर्य

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गलने लगी तुम्हारी दाल
बोलो बेटा मुन्नीलाल

आरक्षण की ठेकेदारी घर में आई सम्पति भारी
सम्पति पा तुम हुए निहाल
बोलो बेटा मुन्नीलाल

फटा सुथन्ना पहने जब तुम गीत राष्ट्र का गाते थे
वैरागी से दिखते थे जब आरक्षण घर लाते थे
उसी भभूत ने किया कमाल
बोलो बेटा मुन्नीलाल

जैसे बिच्छू खा जाता है अपनी माँ को
जैसे सांप छोड़ जाता है केंचुलवा को
वैसे तुम भी छोड़ गए ‘बाबा’ का धाम
सच कहता है मुन्नीराम

बंधा कलावा, नग़ से अटी-पटी अंगुलियाँ
जगराता हो रहा, ‘हुआ है सब इंतजाम’
सच कहता है मुन्नीराम

ब्राह्मण-ब्राह्मण चिल्लाते तुम खुद हुए ब्राह्मणवादी
अब कहते हो जाति कहाँ है
हम हैं समतावादी

सम्पति आई चाट रहे हो किसका गाल
बोलो बेटा मुन्नीलाल !!!!