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ब्लैक होल / निदा नवाज़
Kavita Kosh से
(आतंकवादी से )
तुम फलांग रहे हो
अपना ही अन्धकार
और चबा रहे हो
मानव आकाशा का
एक-एक तारा
अपने काले काले दांतों से
तुम खींच लेते हो
हर चमकती वस्तु
अपनी ओर
अपने अहंकार का पेट
भरने के लिए
तुम अब एक ब्लेक होल
बन चुके हो
इस सुंदर से ब्रम्हाण्ड में
और वह समय दूर नहीं
जब तुम मिट जाओगे
अपने ही शुन्यता के
अन्धकार में.