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भगोड़े / श्याम किशोर
Kavita Kosh से
डर कर भागती हुई छिपकली से
डर कर भागती हुई भीड़
लोगों की
नही- नहीं
बैलों की
नहीं-नहीं
ऊँटों की
भागते-भागते पहुँच गई
जंगल में भीड़
छिपकली देखती रही
उझक-उझक
भगोड़ों की पीठ।