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भालू आया / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
भालू आया ! भालू आया !
संग मदारी डमरू लाया।
कभी ठुमक कर नाच दिखाता,
कभी रूठकर झट सो जाता।
दू-दू पीकर खुश हो जाता,
रूठ-रूठ कर फिर मन जाता।
खेल तमाशो की रौनक से,
सबका मन हर्षाने आया।
भालू आया ! भालू आया !
भालू नाचा ओढ़ चुनरिया,
पानी लाया भरके गगरिया।
कुश्ती करके रौब जमाया,
पहलवानी का जोश दिखाया।
डुग-डुग, डुग-डुग, बजा डुगडुगी,
सब पर रंग जमाने आया।
भालू आया ! भालू आया !