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भिक्षा / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
संपीडित अँधेरा
भर दिया किसने
अरे !
बहूमूल्य जीवन-पात्रा में मेरे ?
एक मुट्ठी रोशनी
दे दो
मुझे !
संदेह के
फणधर अनेकों
आह !
किसने
गंध-धर्मी गात पर
लटका दिये ?
विश्वास-कण
आस्था-कनी
दे दो
मुझे !
एक मुट्ठी रोशनी
दे दो
मुझे !