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भूख / फ़रीद खान

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भूख बनाती है मूल्य ।

इस पार या उस पार होने को उकसाती है ।
नियति भूख के पीछे चलती है ।
ढा देती है मीनार ।

सभी ईश्वर, देवी-देवता स्तब्ध रह जाते हैं ।
भूख रचती है इतिहास ।