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भूलवश और जानबूझकर.. / नासिर अहमद सिकंदर
Kavita Kosh से
कुछ चीजें छूटतीं हमसे
भूलवश
कुछ छोड़ते जानबूझकर
छाता, स्वेटर, रूमाल, चश्मा, किताब
चाबियाँ, कंघी, पेन
और भी कई-कई चीजें
छूटतीं भूलवश
माचिस की खाली डिब्बी
पैकेट सिगरेट खाली
या
आज का ही अखबार आदि
छोड़ते हम
जानबूझकर
समय-सारिणी देखे बगैर
ट्रेन छूटती भूलवश
और ठसाठस भरी बस देखकर
छोड़ते भी हम
उसे जानबूझकर
इस तरह
जीवन जीते हुए
उसकी प्रक्रिया से बाहर
काव्य-प्रक्रिया में
एक नवोदित कवि से
समय छूटता भूलवश
और एक पुरस्कृत कवि
समय छोड़ता
जानबूझकर !