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भोर / भंवर भादाणी
Kavita Kosh से
अळसाई
अणचेत
अधखुली पळक्यां माथै
अबै
छिणक छणां री मेहमान
अर उण री
हौळी ........ हौळी थाप
मैसुसती
बिफरयौड़ी रेत नै
गुदगुदावणौ
ऊगतै सुरज रौ।