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मधुकर / शिव कुमार झा 'टिल्लू'
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चूसि र'स फलकल प्रसूनक
मधुर म'धु सभकें पिआबय
सबल ऋतुराजक प्रबल प्रहरी
श्याम भृंग मधुकर कहाबय
श्रृंगार संग चेतन सृजन केर
पराग सगरो देह सटाबय
एक फूलसँ अगणित फूल पर
कणिका सटा परागण कराबय
सभटा मनुक्ख अपना सनक
किछु जन्म द' पुरोधा कहाबथि
भृंग अप्पन वंशक संगहि
अचल सुमनक वंश बढ़ाबथि
अंतःरस केँ जगजिआर क'
उपवन वातकेँ गमकाबथि
अबोध शिशु की बूढ़ जुआनकेँ
सुरभि सुगंधसँ लेर चुआबथि
स्वच्छ जहानक साकार पालक
पीयूष रस औषधिक प्रवर्तक
आशुत्व कवित्वक नायक मधुकर
कतेक दृष्टिक लेल अछि कर्मक ?
जे किओ बुझथि उपयोग हिनकर
सोचथि ओ किछु परगतिक लेल
काव्य सदिखन रहतनि आभारी
मनुक्ख जन्म तखने उचित भेल