भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मन अगर है जीवन / वैशाली थापा
Kavita Kosh से
जीवन देती है मौक़े
आत्महत्या के हमेशा ही
यह वाक्य सुनकर
मुझे जीवन से बेज़ार ना समझ लेना
मैं बस सच की दासी हूँ
और यह हर पल महसूस करती हूँ
कि मन अगर है जीवन तो
कई बार धकेल देती है वह
दुःखों के बवंडर में
मगर यह मन ही है
कि बिस्तर में मरने के पचहत्तर तरीके सोच लेने के बाद
दोबारा उठता है
और पड़ जाता है फिर
जीवन के ही पचड़ों में
मनी प्लांट का पानी बदलने से लेकर
व्यापार में सौदा तय करने तक
वह मरने के हर इक तरीके को भूलता जाता है।
नहीं समझ आता कभी
क्या यह जीवन की झंझटें ही हैं
जो कई बार हमें जीवन से बचा लेती है
मन से हारने के बाद
हम हर बार जीवन के प्रमे में कैसे पड़ जाते है।