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मन री बात / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
म्हारी जंग
गरभ रै भीतर ई
हुज्यै सरू
उण टैम
बचण री
अरदास करां
आप सूं
पछै
धरती माथै
केठा कित्ती बार मरां
अर
आपरै मन री बात
कैवण सूं ई डरां।