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मर जाऊंगा तब भी... / केदारनाथ अग्रवाल
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मर जाऊंगा तब भी तुमसे दूर नहीं मैं हो पाऊंगा
मेरे देश, तुम्हारी छाती की मिट्टी मैं हो जाऊंगा
मिट्टी की नाभी से निकला मैं ब्रह्मा हो कर आऊंगा
गेहूँ की मुट्ठी बांधे मैं खेतों-खेतों छा जाऊंगा
और तुम्हारी अनुकम्पा से पक कर सोना हो जाऊंगा
मेर देश, तुम्हारी शोभा मैं सोने-से चमकाऊंगा