महाकाल सूं महाजुध / दीपसिंह भाटी 'दीप'
सुरसती को करूं समरण, उकत बगसो आप।
देखियो सो अवल दाखूं, प्रभु रै परताप।
तो संताप जी संताप, भगवन मेट तूं संताप।। 1।।
चीन छोड़ी चूंचकी चट, सुळगियो संसार।
कोरोना रो इक किटाणु, पौचियो धर पार।
तो हहकार जी हहकार, मचियो धरण पर हहकार।।2।।
गिटत विसवर कबू गोहां, चाबतो चमचेड़।
चट कर गयो चीन चोखो, कुदरत तणो कैड़।
तो खल छैड़ दीधो छैड़, विटल कोरोना विस छैड़।।3।।
लेबां मांहि किया लुक लुक, ऊंध आविसकार।
जलमियो जम जीवाणु जग, मिनख दीधा मार।
तो धिरकार जी धिरकार, ऐड़ी खोज नै धिरकार।।4।।
चीन में विष हुओ चावौ, अक्तूबर उगणीस।
अमरीका इरान आयो, अफ्रीका इटलीस।
तो पेरीस जी पेरीस, पूगो दुबोई पेरीस।।5।।
कोरोना कुजाड़ कीधो, मानखै नै मार।
पसरियो अणमाप पापी, कोफियो किलतार।
तो सरकार जी सरकार, अब तो देव है सरकार।।6।।
कोरोना सूं जग कांपै, सड़क पण सुनसान।
मची त्राहि मुलक मोटां, जरमनी जापान।
तो रख ध्यान जी रख ध्यान, भारत सांवठो रख ध्यान।।7।।
राज आज्ञा रिदे राखै , चेत रे नर चेत।
काळ कटक है कोरोना, रळा देला रेत।
तो रख हेत जी रख हेत, थारै कुटुँब सूं रख हेत।।8।।
सावचेती राख साजन, नर कूं कहे नार।
मती निकळो पीव म्हारा, बिना मतळब बार।
तो भरतार जी भरतार, जीवण अमोलो भरतार।।9।।
पगां ऊभा अडग पौरे, पुलिस नै पत्रकार।
मेडिकल अर मीडियागण, प्रसासण परिवार।
तो अवतार जी अवतार, ऐ है ईशवर अवतार।।10।।
धन खाखी वड़दीधारी, ऊभा अड़ीखंभ
कोरोना सूं जुध करवा, सदा रैवे संभ।
तो चौबंद जी चौबंद, पुलिस चाक अर चौहबंद।।11।।
देव रूपी डागदर अर, नरस कंपोडार।
सजग निस दिन करै सेवा, तुरत ही तैयार।
तो धनकार जी धनकार, धौळे वेष नै धनकार।।12।।
पगै उभो सह प्रसासण, करै बढिया काम।
कोरोना सूं जुध करवा, तैयारी तमाम।
तो पग थाम तूं पग थाम, थारै घर मांहि पग थाम।।13।।
सोसियल डिसटेंस सारो, भली नी है भीड़।
इणी रोग रो एक ओखद, पसरवै नी पीड़।
तो झ़फीड़ जी झ़फीड़, हारै कोरोना झफीड़।।14।।
लांगजो मत लोकडाउन, काढ आडी कार।
'दीप' यूं अरदास दाखै, भुजां भारत भार।
तो हुसियार जी हुसियार, रेहणो हरदम हुसियार।।15।।