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महानता / रचना त्यागी 'आभा'
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महानता के इस
महाकुम्भ में
सब हैं तैयार
गोते लगाने को
पर यह नदी बहुत है छोटी
इतने सारे
महानों के लिए!
केवल अधिकार है उन्हीं को
जिन्होंने खरीदे हैं तट
या फिर पानी
या फिर उन्हें,
कि जिन्हें कुछ पीढ़ियों से
पहचानते हैं तट
और पानी
आखिर महानता भी
विरासत है