भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माँ / मुकेश नेमा
Kavita Kosh से
माँ के किये से
बना ये संसार
उससे ही जन्में
सितारे और सूरज
पकड़ उँगली उसकी
चढ़े सारे पहाड
है नहीं अब वो
शेष भर हैं
टटोलना, अँधेरे