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मामा / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
जंगल-झाड़-पतार-कदीमा-कद्दू-आलू
जत्तेॅ नै छै मामा ओत्तेॅ मामी चालू
अगरो-बगरो, कौआ-मैना, पिपरी-खटमल-खोटा
दूध किनै लेॅ मामा गेलै भूली ऐलै लोटा
हाथी-गीदड़-भैंसा-चीता-केला-खरबुज-भुट्टा
भैंस कहीं तेॅ छोड़ै मामा, लै आनै छै खुट्टा
अड़गड़ मारै, बड़गड़ मारै, मारै कुत्ता-बकरी
खाय सें पहिलें यहेॅ हुवै छै मामा जाय छै ढकरी
आलू-बालू-छर्री-लोहोॅ, नानी-नाना, दादा
कोय परीक्षा हुवेॅ मामा कॉपी छोड़ै सादा
देह बढ़ै लेॅ खाय छै मामा किसमिस-कंद-पपीता
तीन फिटोॅ सें बढ़थैं नै छै, दिन भर नाँपै फीता ।