भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मिथिस्टोरिमा-3 / ग्योर्गोस सेफ़ेरिस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मिथिस्टोरिमा : इस समास शब्द के बारे में सेफ़रिस का कहना है कि यह शब्द ’मिथ’ (मिथक) और ’हिस्ट्री’ (इतिहास) से मिलकर बना है।

मुझे दुःख है कि मैंने एक विशाल नदी को
अपनी उँगलियों के बीच से गुज़र जाने दिया
बिन पिए ही एक भी बून्द ।
अब मैं पत्थर में धँसता हूँ
लाल मिट्टी का एक छोटा देवदारु
मेरा एकमात्र साथी है ।
जो मैं प्यार करता था ग़ायब हो गया है उन घरों के साथ
जो पिछली गर्मी में नए थे
और शरत्कालीन पवन के पहले टुकड़े हो गिर गए