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मुझे तन्हाई में अक्सर मिला है / अर्चना जौहरी

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मुझे तन्हाई में अक्सर मिला है
खयालों में वहीं दिलबर मिला है

यूँ मिलने के ठिकाने और भी हैं
कभी छज्जे कभी छत पर मिला है

वो मेरे संग था बेफिक्र कितना
कि ग़म में भी सदा हंस कर मिला है

कोई तो वज्ह होगी कुछ तो होगा
किसी से आज वह छुपकर मिला है

दिखाया ख़ुद को जब से आइना है
मिला जो भी मुझे बेहतर मिला है