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मुझे हर कोई मनाए / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
कोई गोदी में उठाए,
कोई कोठे पे घुमाए,
कोई टाफियाँ खिलाए,
कोई चिज्जियाँ दिलाए,
मैं जो रोने लग जाऊँ,
मुझे हर कोई मनाए।
कोई छाती से लगाए,
कोई पप्पी बरसाए,
कोई मााथा सहलाए,
कोई पिट्टा गुदगुदाए,
मैं जो रोने लग जाऊँ,
मुझे हर कोई मनाए।
कोई झुनझुना बजाए,
कोई गग्गा को बुलाए,
कोई बाबा को भगाए,
कोई चंदा को दिखाए,
मैं जो रोने लग जाऊँ,
मुझे हर कोई मनाए।