मुद्रा : दो / मोना गुलाटी
ख़ौफ़नाक स्थितियों का अर्थ अभी
मेरी समझ में नहीं आया है ।
तुम्हारे बाज़ुओं पर
लटके हुए वृत्ताकार सर्प सीपियों आकार ले लेते हैं
तुम्हारी ताण्डव-मुद्राओं का आक्रोश
नृत्य की ताल में डूब गया है :
भयावह यंत्रणाओं के छूते हुए मैंने
स्वयं को जड़-मुग्ध देखा है :
तमाम षड्यंत्रों के मध्य
अतल में धँसते हुए स्तम्भित हो उठना
मुझे प्रेक्षकों की क़तार में पटक देता है ।
षड्यंत्र का अर्थ केवल एक है : और
वह है सुनसान घाटियों में घूमते हुए उदास हो जाना : क्षमा
‘क्षमा नहीं’ आकाश का लटका हुआ हाथ है । मुझे
हथेलियों के भीतर कस लेना है : नियति चक्र : मुठ्ठियों को
बिना खोले
कैसे जान लिया जाता है :
गहराइयों में डूबता हुआ समुद्र
मुझे आँतों के भीतर तक खींच लेना है : मेरी
आवाज़ का मर्मान्तक होना मेरे
लिए : आश्चर्य-चिह्न है : यह एक ऐसा बिन्दु जहाँ से
प्रारम्भ हुई यात्राएँ केवल
एक ही षड्यंत्र होने पर खुलती है
शंखध्वनियों के मध्य : मैंने
उदास होने पर तुम्हारा स्पर्श नहीं जाना है :
मुझे काली पहाड़ियों के स्याह परिन्दों में कोई रुचि नहीं !
अब काला मात्र काला रह गया है अर्थहीन और
तुम केवल तुम
आकाश या समुद्र या जलता हुआ लावा नहीं ।