भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मूर्तिकार / मुकेश मानस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मूर्तिकार


मिट्टी को गूंथकर
मूरत बनाता है
बनाकर सुखाता है
रंगों से सजाता है

मूरत को सजाकर
भगवान बनाता है
मंदिर में लगाता है

मूर्ति लगाकर
बाहर जो आता है
बाहर ही रह जाता है
भगवान का निर्माता
अछूत हो जाता है
1985