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मेरा पता छोड़कर / नईम

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मेरा पता छोड़कर मुझको
पूछ रहे हैं वो ग़ैरों से।
अंधे दिशा बताएँगे क्या-
पूछ रहे वो क्यों बहरों से?

मेघदूत के ठौर ठिकाने
पूछ रहे क्यों कालिदास से,
पूछो शिप्रा, बेत्रवती से,
पूछो धरती से अकाश से;

जान सकेंगे क्या गंगा को
मिलकर हम उसकी नहरों से?

अगर क़ौम की खोज-ख़बर
वो सचमुच लेना चाह रहे हैं,
शिद्दत से गर अपने बूते
वो स्वदेश को थाह रहे हैं;

उन्हें थाहना था गाँवों को
पूछ रहे वो क्यों शहरों से?

लिखा वल्दियत सहित मिलेगा
नाम उधारी के खातों में।।।
या खै़राती अस्पताल की
लगी हुई लम्बी पाँतों में।

हारीं, थकीं हुईं यात्राएँ-
बँधी हुईं होगी पैरों से।

मेरा पता छोड़कर मुझको
पूछ रहे हैं वो गै़रों से।