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मेरी उदासी / मुकेश प्रत्यूष
Kavita Kosh से
एक पहाड़ी धुन सुनी
और मैं उदास हो गया
एक अल्हड़ क्वांरी नदी को
उतरते और झरते देखा
और मैं उदास हो गया
मैं उदास हो गया-
एक ताजा खिले फूल पर बैठे
मकरंद चूसते भौंरे को देखकर
मैं उदास हो गया-
घुटनों के बल चलते एक बच्चे को मुस्कुराते देखकर
तुम्हारी याद आई
और मैं उदास हो गया