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मेरे सपनों का किरदार / विज्ञान व्रत
Kavita Kosh से
मेरे सपनों का किरदार
काश कि मिल जाए इक बार
तू भी जीत न पाएगा
और न होगी उसकी हार
घर का मालिक कोई और
हम, तुम सिर्फ़ किरायेदार
अपनी खोज-ख़बर भी ले
पढ़ता रहता है अख़बार
तुझ पर सबकी नज़रें हैं
जाकर अपनी नज़र उतार!