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मैंने पूछा / भवानीप्रसाद मिश्र

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मैंने पूछा
तुम क्यों आ गई
वह हँसी

और बोली
तुम्हें कुरूप से
 बचाने के लिए

कुरूप है
ज़रुरत से ज़्यादा
धूप

मैं छाया हूँ
ज़रूरत से ज़्यादा धूप
कुरूप है ना?