भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैना / फुलवारी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
पिंजरे पली हमारी मैना।
हम सब को है प्यारी मैना॥
कितनी सुंदर कितनी भोली।
मीठी लगती उस की बोली॥
सब की नकल उतारा करती।
लेकिन दादा जी से डरती॥
दादा कहते करो नमस्ते।
मैना कहती तो सब हैंसते॥