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मोहब्बत का क़िस्सा / वैभव भारतीय
Kavita Kosh से
क़िस्सा मोहब्बत का ना होता तो बता देता
मैं ख़ुद ग़ुमशुदा ना होता तो पता देता।
यहाँ तक आते-आते उतर जाते हैं कितनों के वसंत
मैं अकेला बेरंग हुआ होता तो बता देता।
पता मुझको भी सब है बस बताता नही।
बताने की शर्त ना होती तो बता देता।