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म्हारी बात / भागीरथसिंह भाग्य
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					“ दिसावर री हांफला भरती जिंगाणी 
भीड़...... भीड़...... भीड़...... 
भीड़ माय चिथ्योडी खुद री छाया नै बचावतो म्हारो मन 
जद कई कई दिना तक म्हारे कने नही हुतो 
उण वखत 
बस ऐ दूहा ही संगी साथी हा ।
	
	