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याद / गौरव गुप्ता
Kavita Kosh से
मुझे
दिन, तारीख़, साल याद नहीं
याद है बस इतना
जब हम मिले थे
सर्दियों की धूप खिली थी।
और
जब तुम गयी
आसमां में अँधेरा छाया रहा देर तक
रात भर बारिश हुई थी, उस रोज़
बस इतना याद है।