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रफ़ा के बच्चे / समीह अल कासिम

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एक

उनके लिए — जो अपना रास्ता
लाखों लोगों के ज़ख़्मों से होकर बनाते हैं
और उनके टैंक बाग़ों के ग़ुलाबों को
कुचल देते हैं

उनके लिए — जो रातों को
घरों की खिड़कियाँ तोड़ते हैं
खेत और संग्रहालय जला देते हैं
और फिर इसकी ख़ुशी में गीत गाते हैं


उनके लिए — जो अपने क़दमों की आहट से
दुखी माताओं के केश काट देते हैं
अंगूर के खेतों को
तहस-नहस कर देते हैं

जो शहर के चौराहों पर
ख़ुशियों की बुलबुल को गोली मार देते हैं
और जिनके हवाई जहाज़ बचपन के सपनों को
बमों से उड़ा देते हैं

उनके लिए — जो इन्द्रधनुष तोड़ देते हैं
आज की रात
रफ़ा के बच्चे
यह घोषणा करते हैं —
 
हमने नहीं बुनी थी चादरें
सिर के बालों से
हमने नहीं थूका था
मारी गई औरतों के चेहरे पर
उनके मुँह से नहीं उखाड़े थे सोने के दाँत

तुम हमारी टॉफ़ी छीनकर
बमों के खोखे क्यों देते हो
क्यों तुम अरब के बच्चों को
यतीम बनाते हो

और हम तुम्हें धन्यवाद देते हैं कि
दुखों ने हमें बड़ा बना दिया है
हम लड़ेंगे।

दो

विजेता की संगीन पर सूर्य की किरणें
एक तिरस्कृत नंगी लाश थी
रक्ताक्त मौन
ख़ून से सने चेहरों के बीच
विद्वेष
प्रार्थना की माला
मिथकीय डीलडौल का
एक आक्रमणकारी चिल्लाता है —

तुम नहीं बोलोगे?
ठीक है
तुम्हारे ऊपर कर्फ्यू लगाया जाता है

अल्लादीन की आवाज़ बिखर जाती है
शिकार की चिड़ियों का जन्म होता है
मैंने सेना के वाहन पर पत्थर फेंके
पर्चे बाँटे
इशारा किया
मैंने ब्रश और पड़ोस से कुर्सी लेकर
नारे लिखे
मैंने बच्चों को भी इकट्ठा किया
और हम लोगों ने क़सम खाई
शरणार्थियों के निर्वासन से

हम लड़ेंगे
जब तक विजेताओं की संगीनें
हमारी गली में चमकती रहेंगी
अल्लादीन दस साल से ज़्यादा नहीं था।

तीन

अकासिया के पेड़ उजाड़ दिए गए
और रफ़ा के दरवाज़े
दुखों से सील कर दिए गए
या लाख से
या कर्फ्यू से

(उस लड़की को रोटी
और एक घायल आदमी के लिए
पट्टी लेनी थी जो आधी रात के बाद लौट रही थी,
उस लड़की को एक गली पार करनी थी
जिस पर नज़र रख रही थीं
अजनबियों की आँखें, तेज़ हवा और बन्दूक की नलियाँ)

अकासिया के पेड़ उजाड़ दिए गए
और एक घाव की तरह
रफ़ा में एक घर का दरवाज़ा
किसी ने खोला
वह उछली
और जासमीन की झाड़ी की गोद में जा गिरी

एक बार आतंक के बीच
जा रही थी सावधानी से कि
खजूर के एक पेड़ ने
उसे बचाया था

हर क़दम पर, बस उछलो—
एक गश्ती दल
तेज़ रोशनी
खाँसी

कौन हो तुम?
रुको
पाँच बन्दूकें उस पर तन गई थीं
पाँच बन्दूकें

सुबह
हमलावरों की अदालत बैठी
उन्होंने उसे पेश किया
अमीना
‘अपराधी’
आठ साल की बच्ची

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रामकृष्ण पाण्डेय