भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रसिया को नारी बनाओ री / हरियाणवी
Kavita Kosh से
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
रसिया को नारी बनाओ री, रसिया को नारी बनाओ री।
कटि लहंगा गले माहीं कंचुकी, चुंदरी सीस उढ़ओ री
रसिया को नारी बनाओ री।
गाल गुलाल आंखिन में अंजन, बैंदी भाल लगाओ री
रसिया को नारी बनाओ री।
नारायण तब तारी बजा के, जसुमति पास नचाओ री
रसिया को नारी बनाओ री।