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राजा की दूरबीन / कुमार कृष्ण
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मैंने छुपाया गुल्लक दुःखी दिनों के लिए
छुपाई बुढ़ापे की उम्मीद
मैं सो गया इस विश्वास के साथ-
मैं हूँ इस धरती पर सबसे सुरक्षित एक सुखी आदमी
एक दिन आया राजा का फरमान
वह चुरा ले गया-
मेरा नाम-मेरा धाम
मेरा कर्म-मेरा धर्म
मेरा धन-मेरा मन
मेरा सभी कुछ है अब उसके पास
मैं हूँ सिर्फ़ और सिर्फ़ एक आधार कार्ड, अंगूठा छाप
खुशकिस्मत थे दादा
किसी ने नहीं चुराये उनकी अंगुलियों के निशान
उनकी अंतिम साँस तक
राजा देख रहा है दूरबीन से
मेरी प्रत्येक साँस।