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रात / आकिब जावेद
Kavita Kosh से
बिजलियाँ
रात का अँधेरा
घनघोर बारिश
वो काली रात
मिट्टी का घर
घर का वह फूस
उनके हाथ आग
भाग्य है मेरे साथ
वो चेहरा
भयभीत मन
तूफानी रात
आँखों में बरसात
लरज़ते कदम
सुनसान रात
ख़ामोश लब
खाली हांडी
चूल्हा ठंडा
सुकड़ती आँत
सोचता ये मन
बीते ये रात
निकले दिन
लाए खुशियों
की सौगात॥