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राम-नाम-महिमा / तुलसीदास/ पृष्ठ 8

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राम-नाम-महिमा-7
 
(103)

राजमरालके बालक पेलि कै पालत-लालत खूसरको।
सुचि सुंदर सालि सकेलि , सो बारि कै, बीजु बटोरत ऊसर को।।

गुन-ग्यान-गुमानु, भँभेरि बड़ी, कलपद्रृम्मु काटत मूसरको।।
कलिकाल बिचारू अचारू हरो, नहिं सुझै कछू धमधूसरको।।

 (104)

कीबै कहा , पढ़िबेको कहा फलु, बूझि न बेदको भेदु बिचारैं।
स्वारथको परमारथको कलि कामद रामको नामु बिसारैं। ।

बाद-बिबादु बढ़ाइ कै छाती पराई औ आपनी जारैं।
चारिहुको, छहुको, नवको, दस-आठको पाठु कुकाठु ज्यों फारैं।।