भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राम कहाँ मिलेंगे / रामनरेश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
ना मंदिर में ना मस्जिद में
ना गिरजे के आसपास में।
ना पर्वत पर ना नदियों में
ना घर बैठे ना प्रवास में।
ना कुंजों में ना उपवन के
शांति-भवन या सुख-निवास में।
ना गाने में ना बाने में
ना आशा में नहीं हास में।
ना छंदों में ना प्रबंध में
अलंकार ना अनुप्रास में।
खोज ले कोई राम मिलेंगे
दीन जनों की भूख प्यास में।