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राम भरोसे / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
पिछले पाँच सालों से
एक सी बरसात है
झम-झमा-झम खूबसूरत
पिछले पाँच सालों से
एक सी बरसाती है
तार-तार फटी हुई
पिछले पाँच सालों से
एक सी तकलीफ है
सर्दी, खाँसी, तपेदिक
पिछले पाँच सालों से
राम सुख रामभरोसे है