भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रिश्तों की रेत / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
सड़क का टोटा है
रेत के समंदर में
गुनगुनी रेत
सड़क के बीचांेबीच
अपना हक जताती
और
सड़क सूरत बदलती है
नंगे पाँवों को सुकून
और अपनापन देती
रास्ते की दीठ देती
धोरों की रेत
अहिंसक होती है
यह समुद्री रेत