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रेत (2) / अश्वनी शर्मा
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कोसों तक जब सिर्फ सन्नाटा गूंजता है
तब बजाता है आदमी
बांसुरी, अळगोजा
मोरचंग, खड़ताल
रावणहत्था या सांरगी
बहुत अकेला हुआ आदमी
तब गाता है रेत राग।