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लोगों के सामने / नवनीत पाण्डे

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सिर्फ़ महफ़िलों में ही क्यों
ढूंढते हो तुम मुझे
अकेले में भी तो मिलते हैं हम
क्या सिध्द करना चाहते हो
लोगों के सामने
लोगों की भीड़ में
जताते हो खुद को सबसे बड़ा हमदर्द
कहो तो सही!
कितने दर्द बांटे हैं
तुम्हारा यह स्वांग
समझ से बाहर है
कितना बदल जाते हो लोगों के सामने