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लोग-अेक / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
पैली कैंवता
कै दुख बांटण स्यूं
आधौ
अर सुख बांटण स्यूं
दूणौ हुज्यावै
पण अबै
दुख बांटण स्यूं
दूणौ
अर सुख बांटण स्यूं
आधौ रैह्ज्यावै
टैम बदळग्यौ
लोग बदळग्या
लोगां रौ सोच बदळग्यौ।