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लोभिया दहेज खातिर / सुभाष चंद "रसिया"
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गरवा में फ़सरी देख हमके लगावे ला।
लोभिया दहेज खातिर हमके जरावे ला॥
अइसन कसाई संगे कर ना सगाई।
अपनी करेज के तू कर ना बिदाई।
जुल्मी समाज कैसे बेटी जन्मवे ला॥
गरवा में फ़सरी देख हमके लगावे ला॥
माई-बाबू तेजनी हम, तेजनी घरवा।
सखिया सलेहर छुटली छूटल नैहरवा।
विधि के विधान कैसे लोभिया मिटावेला।
गरवा में फ़सरी देख हमके लगावे ला॥
सास-ननद अब जेठानी मारे ताना।
सैया मोटरगाड़ी माँगे देले नाही खाना।
घरवा से अर्थी अब कहरवा उठावे ला॥
गरवा में फ़सरी देख हमके लगावे ला॥