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लोरी - 4 / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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सोजा मेरे राज दुलारे
सोजा मेरे दृग के तारे
तालाबो में कमल गुंद गये
तू भी नयन मूंद ले अपने
आयेंगे कुछ चित्र बनाते
नन्हें से उर में सुख सपने
उनसे बातें करना जी भर
सुन्दर खेल-खेलना न्यारे
पंछी भी थककर लो देखो
अपनी माँ के पास सो गये
कलरव उनका शान्त हो गया
सुख सपनों में पड़े सो गये
तू भी चुप हो सोजा मुन्ने
नींद खड़ी है तेरे द्वारे
सूर्य देवता अपने घर में
नींद मगन हैं नभ पलने पर
इसीलिये तो तारों वाली
झिलमिल डाली मों ने चादर
मैं भी तुझे उढ़ा दूं लालन
अब तो बेटा चुप सो जा रे
नन्हें नन्हें फूलों को तो
रजनी की बाहें दुलराती
पवन झुलाती उनको पलना
थपकी देती लोरी गाती
आरी निंदिया, आरी निंदिया
गाती हूँ मैं तू सो जा रे