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लौटने वालो / तो हू

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लौटने वालो, क्या तुम्हे याद है देशभक्त सेनानी :

नमक-पानी में भींगा मुट्ठी-भर भात और

कंधों पर क्रोध का बोझ?


लौटने वालो, क्या तुम्हें याद हैं वे घर

भूरे सरपत की सर-सर और

लाल दिल का विस्फ़ोट भीतर-भीतर?


(विएत बाँक, अक्तूबर 1954)