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वर देॅ / कुंदन अमिताभ

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वर देॅ, वर देॅ, वर देॅ।
वर देॅ हमरा हे गोसाँय बऽल तोरा सें पाबौं
अमर शान्ति केरऽ दीया बनी सदाचार अपनाबौं
इ संसार के अनहारऽ में एगो दीप शिखा बनौं
प्यासलऽ हृदय पेॅ बदरी बनी झरिया खूब पड़ाबौं
तिरस्कार दूरकरी मन में स्नेह बढ़ाबौं
अपमानित करै वाला केॅ छमा सदा ही करौं
भेदभाव सें दूर रही केॅ सच केॅ अपनाबौं
संदेहऽ सें दूर रही केॅ हरदम विश्वासी बन पाबौं
घोर निराशा केरऽ जीवन में आशा के दीा जलाबौं
दुखियारी दुनिया केॅ फेरू सुख के गीत सुनाबौं।