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वह / अफ़अनासी फ़ेत / अनिल जनविजय

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दो फूल नीलगूँ, दो नीलम झलक रहे थे
उसकी नज़रों में था अभिनन्दन और सत्कार    
और दूर व्योम के जैसे रहस्य झमक रहे थे
नयनों में था उसके कुछ नीला-नीला सा प्यार
 
दमक रहे थे घुँघराले कुन्तल उसके सुनहरे
दिव्य प्रकाश में फैला जो उसके चारों ओर 
रच रही पृथ्वी पर वो स्वर्गिक सौन्दर्य की लहरें
पेरुगिन<ref>पिएत्रे पेरुगिनो (1446—1524), पुनर्जागरण युग के एक इतालवी चित्रकार</ref> ले आया था जिसे ज़मीन पर उस भोर

1889

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
   Афанасий Фет
                      Она

Две незабудки, два сапфира —
Ее очей приветный взгляд,
И тайны горнего эфира
В живой лазури их сквозят.

Ее кудрей руно златое
В таком свету, какой один,
Изображая неземное,
Сводил на землю Перуджин.

1889 г.

शब्दार्थ
<references/>