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वार्ता:Yade
Kavita Kosh से
वो दिन अब क्यों नहीं आते उन दिनों वो दोस्त मेरे साथ था मेरे हाथ मे उसका हाथ था
वो दिन अब क्यों नहीं आते वो मेरे मन के बहुत पास था उन दिनों मेरी जुबा पर उसका ही नाम था
वो दिन अब क्यों नहीं आते उन दिनों मुझे एक ही काम था उससे ही बात करने मे आराम था वो दिन अब क्यों नहीं आते