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विदूषक-2 / श्याम किशोर

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कोई !
कोई इसकी ज़द से
बाहर नहीं है !

उसने हाथ की क़िताब को
सगर्व हिलाते हुए कहा

तुम किसी एक का नाम लो
मैं अभी खोल कर
दिखाता हूँ क़िताब !

नाम नहीं
मैंने सिर्फ़ संख्याएँ देखीं

सचमुच!
शहर की कुल जनसंख्या
उसकी कर्ज़दार थी ।