भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विद्वान अंधेरा / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज




विद्वान अंधेरा

ढपोरशंखी सूर्य

दोनों हमारे हैं

और हम

उनके सहारे हैं

थके हुए

हारे हैं



(रचनाकाल : 27.07.1966)