भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विरोध की भाषा / राग तेलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक दिन
बोली जाने वाली भाषा
खो जाएगी

जिस भाषा में सोचेंगे
उसमें कह नहीं सकेंगे
और कहेंगे भी तो पाएंगे
एक भाषा खो गई है

इस तरह
एक दिन
विरोध भी मुमकिन न होगा

सोचेंगे भी तो
कह नहीं सकेंगे
और कहेंगे भी तो
कोई समझेगा नहीं

पता भी न चलेगा
विरोध नाम की कोई चीज
हुआ करती थी दुनिया में ।